Jersey Movie Full Story in Hindi - जर्सी मूवी की पूरी कहानी

 

Jersey Movie Full Story in Hindi - जर्सी मूवी की पूरी कहानी

Jersey Movie Full Story in Hindi - जर्सी मूवी की पूरी कहानी 


Jersey Movie Full Story in Hindi, आज मैं जिस मूवी की स्टोरी एक्सप्लेन करने जा रही हूँ वह है साल 2022 में रिलीज़ हुई मूवी जर्सी को। जो कि एक साउथ की मूवी, जिसका नाम भी जर्सी है उसी की रीमेक है। तो चलिए जानते हैं इस फिल्म की पूरी कहानी को। 

कहानी शुरू होती है अर्जुन से जो कि बहुत यंग होता है और काफी अच्छा क्रिकेट प्लेयर होता है। वह एक राइट हैंड बैट्समैन होता है जिसने की काफी सारी सेंचुरीज बनाई होती है मतलब कि वह इस वक्त का सबसे अच्छा प्लेयर होता है और  सबको ऐसा लग रहा था कि उसका सिलेक्शन इंडियन टीम में जरूर होगा। यहाँ पर उसकी एक गर्लफ्रेंड होती है जिसका नाम होता है विद्या। विद्या उससे शादी करना चाहती है लेकिन विद्या के फादर नहीं मानते हैं जिसके बाद विद्या अपना घर छोड़ देती है और अर्जुन उससे शादी कर लेता है। उसके बाद वोग लोग एक गवर्नमेंट के क्वार्टर में शिफ्ट हो जाते हैं जो कि उन्होंने किसी से रेंट पर लिया होता है। 

अब यहाँ पर अर्जुन मैच खेलता है जिसमें वह फाइनली पंजाब को जीत दिला देता है। अर्जुन को यहाँ पर लग रहा था कि वह जरूर ही इंडियन टीम के लिए सेलेक्ट हो जाएगा लेकिन यह दूसरी बार हो रहा होता है जब अर्जुन को इंडियन टीम के लिए सेलेक्ट नहीं करते हैं और इस बात को लेकर के उसे बहुत गुस्सा आता है। और गुस्से में वह एक जगह खड़ा होता है कि तभी उसका कोच आता है और उसे समझाने की कोशिश करता है। उसका कोच उसके साथ बचपन से ही रहा होता है और वह बिलकुल उसके पिता के समान होता है। और अब अर्जुन को बहुत गुस्सा आता है और वह गुस्से में क्रिकेट को छोड़ देता है। कोच उससे बात करने की कोशिश करते हैं और इसका कारन जानने की भी कोशिश करते हैं पर अर्जुन उन्हें कुछ भी नहीं बताता है और उसके बाद वह स्पोर्ट्सकोटा में एक अच्छी सी जॉब को को ले लेता है और धीरे धीरे उसी में अपनी लाइफ को चलाने लगता है। वह अपनी वाइफ के साथ और अपने बच्चे के साथ खुश होता है। 

धीरे धीरे करके अब उनकी लाइफ बदलने लगती है। और इसी बीच में कुछ ऐसा हो जाता है जिसमे उस डिपार्टमेंट में जहाँ पर वह काम करता था वहां पर 15 लोगों को ससपेंड कर देते हैं जिसमें से अर्जुन भी एक होता है। जबकि अर्जुन ने कुछ भी गलत नहीं किया होता है। और उसकी जॉब भी चली जाती है। 

फिर सीन शिफ्ट होता है 2 साल बाद का, जहाँ पर अभी तक अर्जुन के पास जॉब नहीं है और उसकी वाइफ विद्या ही सब कुछ संभाल रही होती है। विद्या एक होटल में काम करती है और उसकी सैलरी बहुत ज्यादा नहीं होती है तो सैलरी से घर को चलाना मुश्किल होता है। विद्या का जो बेटा होता है वह रोज सुबह सुबह क्रिकेट की प्रैक्टिस के लिए जाता है और अर्जुन उसे ले करके जाता है। ऐसे ही वह लोग जब जा रहे  होते हैं तब उसका बेटा केतन उसे बोलता है कि उसका बर्थडे आने वाला है और उसे अपने बर्थडे पर एक जर्सी चाहिए इंडियन टीम की। क्यों कि उसके दोस्त के पास भी वही जर्सी है और उसे उसकी टीम का कैप्टेन बना दिया गया है और वह भी कैप्टेन बनना चाहते हैं। 

अर्जुन उसे समझाता है कि जर्सी का कैप्टेन बनने से कुछ भी लेनादेना नहीं है पर क्योंकि केतन एक बच्चा है इसलिए केतन उसकी बात को मान लेता है। जब प्रैक्टिस से वह लोग वापस आ रहे होते हैं तब अर्जुन एक शॉप पर जाता है और जर्सी की प्राइस को पूछता है। वह जर्सी 500 रुपये का होता है जो की उस वक्त के हिसाब से ज्यादा होता है और अर्जुन इतने पैसे इकट्ठा नहीं कर सकता। वह वहां से उदास होकर ऐसे ही चले जाते हैं और केतन को स्कूल भेजने के बाद अर्जुन इसके बारे में विद्या से बात करता है। विद्या के पास पहले से ही बहुत सारे बिल्स होते हैं क्योंकि उन्होंने इलेक्ट्रिसिटी का बिल, रेंट कुछ भी सबमिट नहीं किया है। तो विद्या उसके बातों पर ध्यान नहीं देती है और साफ साफ मना कर देती है। वह उसे कहता है कि उसने 100 रुपये रख दिए हैं और वह बिजली का बिल जमा कर दें। इसके बाद वह अपनी जॉब के लिए निकल जाती है। 

 उसके जाने के बाद अर्जुन के फ्रेंड्स आते हैं और वह लोग साथ में ताश खेलते हैं। पहले तो अर्जुन मना करता है पर जब उसे समझमें आता है कि ताश में सभी लोग सौ सौ रुपये लगा रहे हैं तो वह बिजली के बिल के पैसों को ताश में लगा देता है ताकि अगर वह जीत गया तो 600 रुपये जीत जाएगा और जर्सी आ जाएगी। पर यहाँ पर उसका ध्यान भटक जाता है और वह यह गेम हार जाता है। शाम को लाइट भी कट हो जाती है और अब उसका विद्या से भी झगड़ा हो जाता है। 

नेक्स्ट मॉर्निंग वह लॉयर से बात करने के लिए जाता है जहाँ पर उसका केस कोर्ट में चल रहा होता है। तो लॉयर भी उसे वहां से यह बोलकर हटा देता है कि इतने इम्पोर्टेन्ट इम्पोर्टेन्ट काम के बीच में उसके जॉब का मिलना मुश्किल है। अब वह अपने दोस्त से मिलता है और जर्सी के बारे में बताता है। दोस्तों बोलता है कि उस जर्सी की कॉपी बनवा लेते हैं तो अर्जुन इसके लिए मना कर देता है क्योंकि ऐसा करने पर वह अपनी ही नजरों में गिर जाएगा। इसके बाद उसका दोस्त पहले उधार मांगने की कोशिश करता है और बाद में आपस में ही पैसे जमा करते हैं। पर फिर भी वह लोग इतने पैसे इकट्ठे नहीं कर पाते कि तभी वहां पर कोच आते हैं। 

कोच  फिर अर्जुन को ऑफर करते  हैं कि एक मैच होने वाला है जो कि एक चैरिटी मैच है और न्यूज़ीलैण्ड  के साथ है। अर्जुन को लगता है कि शायद जितने पर उसे पैसे मिलेंगे इसलिए वह मान जाता है। वह एक बार फिर 10 साल बाद ग्राउंड में उतर जाता है और बहुत ही अच्छा परफॉरमेंस देता है। यहाँ पर उसका बेटा भी उसे देख रहा होता है जो कि अपने पिता को इतना अच्छा क्रिकेट खेलते देखकर बहुत ज्यादा खुश हो जाता है। पर यहाँ पर मैच के बाद अर्जुन को पता चलता है कि उन्हें कोई भी पैसे नहीं मिलेंगे क्योंकि यह एक चैरिटी मैच होता है। 

यह सुनने के बाद अर्जुन को बहुत गुस्सा आता है और कोच कहता है कि वह उसे असिस्टेंट  कोच की जॉब को दिला सकता है। पर अर्जुन गुस्से मे मना कर देता है और वहां से घर निकल जाता है। रास्ते में एक बार फिर उसका बेटा स्पोर्ट्स की शॉप आने पर उससे कहता है कि उसे जर्सी चाहिए। तो अर्जुन उसे गुस्से में थप्पड़ मार देता है और घर लेकर चला जाता है। घर पर वह अपनी मम्मी को नहीं बताता है कि उसके पिता ने उसे थप्पड़ मारा है। अब अर्जुन को इतना ज्यादा गिल्ट फील होता है कि वह उसके लिए जर्सी लाने के लिए अपने वाइफ के पर्स में से पैसे निकालने की कोशिश करता है। पर विद्या उसे पैसे लेते देख लेती है और इस बात को लेकर फिरसे दोनों में झगड़ा हो जाता है इनफैक्ट वह उसे थप्पड़ भी मार देती है। इसके बाद अर्जुन अपनी ही नजरों में गिर जाता है। 

 इसके बाद अर्जुन बाहर चला जाता है जहाँ पर उसके बेटे ने यह सारी चीजें सुन ली होती है। अब अर्जुन वहां से कोच के पास दोबारा जाता है। कोच को लगता है कि वह जॉब लेने आया है। पर अर्जुन कहता है कि अब वह यहाँ फिरसे प्लेयर बनने आया है। कोच उसे मना करता है और अब ऐज 36 ईयर ओल्ड हो चुकी है और इस ऐज में तो क्रिकेटर रिटायरमेंट लेते हैं। पर अर्जुन कोच की बात को ध्यान नहीं देता और नेक्स्ट डे क्रिकेट ग्राउंड में पहुंच जाता है। यहाँ पर उसे खेलने का मौका नहीं मिलता है जबकि तभी रंजी टीम की सिलेक्शन हो रही होती है। जबकि अर्जुन ने न्यूज़ीलैण्ड वाले मैच में इतना अच्छा परफॉरमेंस दिया था, इसके बेसेस पर एक बार फिर उसको मौका दिया जाता है। पर वहां पर एक दूसरा यंग क्रिकेटर जानबुझकर उसके ग्लब्स को छिपा देता है जिसकी बजह से वह कोच गुस्से में अर्जुन को ग्राउंड से बाहर निकाल देता है। 

बाद में इस बात को लेकर अर्जुन और उस प्लेयर का झगड़ा भी होता है जिस प्लेयर की गर्लफ्रेंड एक जर्नलिस्ट होती है। वह जर्नलिस्ट अर्जुन से रिलेटेड एक आर्टिकल को प्रिंट करती है क्योंकि वह देख रही होती है कि इतनी ज्यादा ऐज होने के बाद भी अर्जुन मैचेस को खेल रहा है। और इसी आर्टिकल को पढ़ने के बाद फाइनली अर्जुन को टीम में सेलेक्ट कर लिया जाता है। 

यह एक ज्यादा से लोगों की टीम होती है जिसकी 1 मंथ की ट्रेनिंग होगी और इसके बाद फाइनल टीम का सेलक्शन होगा। 1 मंथ के ट्रेनिंग के बाद अर्जुन का टीम में सिलेक्शन हो जाता है। पर अभी भी विद्या को इन सब बातों से कोई भी फर्क नहीं पड़ता है। साथ ही वह उसे सपोर्ट भी नहीं करती है। अर्जुन फिर आगे की मैचेस को खेलने के लिए रंजी ट्रॉफी की तरफ निकल जाता है। इसके बाद उनके कई सारे मैचेस होते हैं और अर्जुन बहुत अच्छा परफॉर्म करता है। एक एक करके वह हर मैच में सेंचुरी बना रहा होता है और उसका बेटा बहुत ज्यादा खुश होता है। 

असेही वह एक मैच को खेल रहा होता है जहाँ पर वह बहुत ज्यादा थक चूका होता है। इसके बाद वह हॉस्पिटल जाता है जहाँ पर उससे मिलने के लिए विद्या आती है। जब विद्या उसकी ज़िद को देखती है कि वह अभी भी इस ऐज में मैचेस को खेल रहा है जबकि उसकी तबियत ख़राब हो रही है, तब वह गुस्से में आकर उसको एक चॉइस देती है कि या तो उसे क्रिकेट को चूस करना होगा नहीं तो विद्या और उसका बेटा उसे छोड़ करके चले जाएंगे। और वह अपनी फॅमिली को ही चूस करता है। लेकिन जब लास्ट मैच होना होता है वह एक हप्ते बाद का होता है। 

फिर अर्जुन क्रिकेट की प्रैक्टिस को छोड़ देता है और दोबारा से अपनी नार्मल लाइफ में चला जाता है। ऐसेही वह अपने बेटे से बात करता है तो उसका बेटा बोलता है कि जिस टाइम पर अर्जुन क्रिकेट को खेल रहा होता है उस टाइम पर वह हीरो लगता है। और फिर अर्जुन को समझमे आता है कि उसने अपनी लाइफ में कुछ भी अच्छा नहीं किया वह कभी भी सक्सेसफुल नहीं बन पाया और शायद वह एक अच्छा हस्बैंड भी नहीं था। लेकिन फिर भी वह अब एक अच्छा पिता बनना चाहता है और उसका बेटा अगर उसे हीरो समझता है तो वह उसे हीरो बनकर के दिखाएगा।

 इस बात को लेकर वह विद्या से बात करता है कि केतन ने आज तक उससे कभी भी कुछ नहीं माँगा था बस एक बार उससे एक जर्सी मांगी थी और वह उसे वह भी दिला नहीं पाया। पर इसके बाद भी उसका बेटा उसे हीरो समझता है और उसे कोई भी फर्क नहीं पड़ता है कि उसके पिता की जॉब है या फिर नहीं है या फिर वह उसे जर्सी दिला भी पाएगा या नहीं। इसलिए अर्जुन उसकी नजर में अच्छा बनना चाहता है और एक हीरो बनना चाहता है और इसलिए वह क्रिकेट को कंटिन्यू करेगा। विद्या भी उसके बात को समझ जाती है और वह उसके लिए एक फ्लाइट का टिकट करवाती है। यह टिकट उसने अपने होटल से करवाया होता है। 

बहुत समय बात फाइनली अर्जुन और विद्या साथ में कुछ देर बात करते हैं और एक अच्छा टाइम स्पेंट करते हैं। इसके बाद अर्जुन फ्लाइट से अपने मैच के लिए निकल जाता है। यह उसका रंजी ट्रॉफी के लिए आखरी मैच होता है जिसमे शुरू में तो उनकी टीम अच्छा परफॉर्म नहीं करती है लेकिन बाद में अर्जुन बहुत अच्छा खेलता है और फाइनली वह इस मैच जीत जाते हैं। 

उसके बाद सीन को दिखाया जाता है प्रेजेंट टाइम में क्योंकि यह सारी मूवी पास्ट में चल रही होती है। इस प्रेजेंट टाइम में केतन अब बहुत बड़ा हो चूका था, जहाँ पर वह अपनी माँ के साथ अपने पिता से रिलेटेड एक सम्मान समारोह में आया होता है। यहाँ पर उसके पिता के ऊपर एक किताब भी लिखी गई थी जिसका नाम होता है जर्सी, जिसे लिखने वाली जेस्लीन होती है जो कि एक जर्नलिस्ट होती है। समारोह में पहुंचने के बाद उन्हें पता चलता है कि किताब में सिर्फ रंजी के जितने तक ही बात बताई गई है, जहाँ पर अर्जुन ने फिरसे 10 साल बाद पंजाब को रंजी ट्रॉफी जीता दी होती है। इसके बाद क्या हुआ यह किसी को भी नहीं पता। 

 इस समारोह में जो होस्ट होते हैं वह कुछ ऑफिसियल डाक्यूमेंट्स को पढ़कर बताते हैं कि इस मैच के बाद में अर्जुन का सिलेक्शन टीम इंडिया के लिए कर लिया गया होता है। लकिन मैच के दो दिन बाद ही अर्जुन की डेथ हार्ट अटैक से हो जाती है इसलिए वह कभी भी भी टीम इंडिया के लिए खेल नहीं पाया। उस समारोह में एक डॉक्टर भी होता है जो कि केतन से अलग से कुछ बात करते हैं। 

जब केतन स्टेज पर जाता है तो उसे एक जर्सी दी जाती। यह जर्सी टीम इंडिया की होती है जिसके पीछे अर्जुन लिखा होता है क्योंकि अर्जुन ऑफिशली टीम में सेलेक्ट हो चूका था। यह जर्सी देखने के बाद सभी को केतन यह बोलता है कि सालों पहले उसने इस जर्सी के लिए बोला था और कीतनी सिद्दत से एक पिता ने इस जर्सी को पाने की इच्छा करि होगी कि आज उनके मरने के इतने सालों बाद भी केतन के पास फाइनली वह जर्सी आ चुकी है। वह बोलता है कि सबको अभी तक यही लगा था कि उनके पिता की मौत हार्ट अटैक की बजह से हुई थी जो कि अचानक से आई थी पर सच तो यह था कि उन्हें एक ऐसी बीमारी थी जिसकी बजह से ज्यादा स्ट्रेस की बजह से उन्हें कभी भी हार्ट अटैक आ सकता था और यह बीमारी उन्हें बहुत पहले से थी। जब 26 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार क्रिकेट को छोड़ दिया था तभी उन्हें पता चल गया था कि उन्हें ऐसी बीमारी हो गई है। वह डॉक्टर से रिपोर्ट ले करके आए थे और इसी बात से वह नाराज थे। यही पर उन्होंने क्रिकेट को छोड़ दिया था और सबको लग रहा था जैसे कि उन्होंने हार मान ली और गिव उप कर दिया। और सालों बाद यह जानने के बाद भी कि अगर वह क्रिकेट को खेलेंगे तो उनकी जान चली जाएगी फिर भी वो क्रिकेट को खेलते रहे अपने बेटे के लिए, अपने बेटे के नजरों में हीरो बनने के लिए। 

यह सब सुनने के बाद हर किसी को बहुत अफोसस होता है और साथ में विद्या को भी बहुत अफ़सोस होता है। अर्जुन के नाम के जर्सी को देखते हुए यह मूवी फिर ख़त्म हो जाती है। 

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